पेरियार (ई.वी. रामासामी), बुद्ध, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर जैसे महान व्यक्तित्वों के विचारों से, “सरपट्टा परंबराई” एक विशेष कैसे फिल्म बनाती है , आइये जानते हैं।

पेरियार (ई.वी. रामासामी), बुद्ध, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर जैसे महान व्यक्तित्वों के विचारों से, “सरपट्टा परंबराई” एक विशेष कैसे फिल्म बनाती है?

“सरपट्टा परंबराई” एक तमिल भाषा में बन गई 2021 की भारतीय स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है, जिसे पा. रंजीत ने निर्देश दिया है। ये फिल्म अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई थी और तमिल सिनेमा के प्रमुख अभिनीत माधवन ने प्रमुख भूमिका में काम किया है। फिल्म में, तमिलनाडु के 1970 के दशक के छोटे जिले, उत्तरी मद्रास की बॉक्सिंग परंपरा को दिखाया गया है और बॉक्सिंग के माध्यम से एक परंपरा, समाज और व्यक्तित्व का संघर्ष का विरोध चित्रन किया गया है।

पेरियार (ई.वी. रामासामी), बुद्ध, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर जैसे महान व्यक्तित्वों के विचारों से, "सरपट्टा परंबराई" एक विशेष कैसे फिल्म बनाती है , आइये जानते हैं।

फिल्म के मुख्य पात्र, काबिलन एक प्रखर और प्रतिभाशाली बॉक्सर है जो अपने परिवार के लिए लड़ता है और अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करता है।

फिल्म में काबिलन की बॉक्सिंग की शुरुआत, उसके गुरु रंगन वाथियार के साथ उसकी रचना को दिखाया गया है। रंगन वाथियार, जो अपनी परंपरा को संभालने में विश्वास रखने वाला है, काबिलन को अपने नए बॉक्सर के रूप में विकसित करता है और अपनी परंपरा की प्रतिष्ठा को बनाने में मदद करता है। पारिवारिक और सामाजिक दृश्यों को ध्यान में रखते हुए, काबिलन को अपने सपनों को पूरा करने के लिए कई परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है।

फिल्म में बॉक्सिंग के मैदान में प्रतियोगिताएं, साहस से भरी लड़ाइयों को काफी उत्कृष्ट तरीके से दिखाया गया है।

काबिलन के लिए, ये लड़ाई सिर्फ एक बॉक्सिंग रिंग के अंदर नहीं होती, बाल्की उसके जीवन की सभी पहलुओं में व्यपक होती है – उसकी प्रीति, सामाजिक स्थिति और सपने सभी पर निर्भर करते हैं।

“सरपट्टा परंबराई” सामाजिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्णता, और व्यक्तित्व की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है। ये एक कहानी है जिसका परिवार, इज्जत, और सपना एक दूसरे से टक्कर लेते हैं, और बॉक्सिंग के रूप में ये लड़ाइयों का प्रतिनिधित्व करता है। पा. रंजीत की दिशा में ये फिल्म एक नई परियोजना को प्रदर्शित करती है, जिसमें काला और समाज का मेल एवं एक नई ऊर्जा को प्रदर्शित किया गया है।

“सरपट्टा परंबराई” में पेरियार और गौतम बुद्ध और डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की महत्तवपूर्ण विचार, सामाजिक सन्दर्भ और राजनीतिक प्रतिकृतियों को गहराई और विस्तार से दर्शाती है।

पेरियार (ई.वी. रामासामी):

ई.वी. रामासामी, जो तमिलनाडु के प्रसिद्ध सामाजिक सुधारक और नेता थे, “सरपट्टा परंबराई” में एक प्रमुख आधुनिक विचार धारा का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी सोच ने सामाजिक सुधार के प्रति अधिक जागृति और समृद्धि लायी। फिल्म में उनका जिक्र एक महत्तवपूर्ण संदेश देता है – समाज में समरसता और न्याय के लिए लड़ी।

बुद्ध:

बुद्ध के विचारों का महत्तव फिल्म में उसका मुख्य पात्र काबिलन के समय और उसके सजीवता में दर्शन गया है। बुद्ध का सिद्धांत, जिसमें दया, शांति और अहिंसा की अहमियत है, काबिलन के व्यक्तित्व में गूंजता है और उसकी लड़ाई में एक संभावना की स्थापना होती है। फिल्म में काबिलन की पुरानी परंपरा को तोड़ने और नए रास्ते चुनने का दृढ़ संकल्प भी दिखाया गया है, जो बुद्ध के सामाजिक सिद्धांतों से प्रेरित है।

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर:

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर, भारत के महान नेता, सामाजिक सुधारक और संविधान के मुख्य निर्माता, “सरपट्टा परंबराई” में एक दृष्टि और प्रेरणा का स्थान है। उनकी विचार धारा, जिसमें सामाजिक समरसता, न्याय और शिक्षा की महत्तवपूर्ण भूमिका है, फिल्म के कई पहलुओं में दिखाई देती है। फिल्म में समाज में समरसता और न्याय के लिए काबिलन जैसे प्रमुख पत्र के प्रति अम्बेडकर के सिद्धांत और उनके संघर्ष से प्रेरणा मिलती है।

महान व्यक्तित्वों के विचारों से, “सरपट्टा परंबराई” एक विशेष फिल्म बनाती है जो सामाजिक सुधार, समरसता और न्याय की दिशा में व्यापक अभिव्यक्ति करती है। महान नेताओं के विचारों से प्रेरणा प्राप्त करके, काबिलन जैसे पत्र का सामाजिक और व्यक्तित्व विकास होता है, जिसे फिल्म की कहानी में दिखाया गया है। उनकी प्रतिबधता, सामाजिक प्रतिबधता और दृढ़ संकल्प, जो महान व्यक्तित्वों से प्रेरणा ली गई है, “सरपट्टा परंबराई” को एक प्रखर एवं शिक्षित फिल्म बनाते हैं जो सामाजिक सुधार के मूल तत्वों को सार्थक रूप से प्रतिष्ठित करती है।

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