ज्योति सावित्री बाई फुले, नारी स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय की अमर ज्योति: सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन ।

ज्योति सावित्री बाई फुले: नारी स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय की अमर ज्योति: सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन ।

शिक्षा, नारी स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय की अमर ज्योति: सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन।

ज्योति सावित्री बाई फुले: भारत के प्रथम बालिका विद्यालय की प्रिंसिपल क्रांति ज्योति सावित्री बाई फुले की आज जयंती है। उनका स्कूल हर जाति की बच्चियों के लिए खुला था। जब वे स्कूल जाती थीं तो पुणे में स्त्री शिक्षा के विरोधी उन पर गोबर फेंक देते थे। सावित्री बाई फुले हर दिन बैग में एक्स्ट्रा साड़ी लेकर जाती थी। स्कूल पहुँचकर वे अपनी साड़ी बदल लेती थी। चरणों में सादर नमन।

सावित्रीबाई फुले जयंती: शिक्षा, महिला समाज और सामाजिक न्याय पर जो आज भी अद्वितीय हैं ।

आज देश की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारक, सावित्रीबाई फुले की जयंती है। शिक्षा को महिलाओं के मुक्ति का द्वार समझने वाली, जाति प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने वाली इस वीरांगना के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

आइये हमलोग सावित्रीबाई फुले जी के विचारों के बारे में जानें ।

“मेरा मानना है कि शिक्षा ही हर महिला की मुक्ति की कुंजी है। जागो, उठो और शिक्षा प्राप्त करो, परंपराओं को तोड़ो – मुक्त हो जाओ। ज्ञान के बिना सबकुछ खो जाता है, हम बिना बुद्धि के जानवर बन जाते हैं। बेकार बैठना नहीं, जाओ, शिक्षा ग्रहण करो।” – शिक्षा को महिलाओं के सशक्तिकरण का आधार मानने वाली सावित्रीबाई का यह उद्धरण आज भी प्रासंगिक है।

“जिस समाज में शिक्षा का प्रकाश नहीं पहुंचता, वहां अंधकार और दमन का साम्राज्य होता है। इसलिए शिक्षा को ही फैलाएं, इसी में समाज का कल्याण है।” – शिक्षा को सामाजिक सुधार का आधार मानने वाली सावित्रीबाई का यह उद्धरण हमें शिक्षा के महत्व को समझने की प्रेरणा देता है।

“मैं ब्राह्मण नहीं हूं, न ही शूद्र हूं। मैं इंसान हूं।” – जाति-प्रथा की जड़ों को हिलाने वाला सावित्रीबाई का यह उद्धरण सभी को मानवता का पाठ पढ़ाता है।

“जुल्म सहना बहादुरी नहीं, जुल्म का विरोध करना ही असली बहादुरी है।” – अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का संदेश देने वाला सावित्रीबाई का यह उद्धरण हमें सामाजिक बुराइयों से लड़ने का हौसला देता है।

“पढ़ाई हमें मनुष्य का दर्जा देती है। बिना पढ़ाई के हम गुलाम बन जाते हैं।” – शिक्षा को स्वतंत्रता की नींव मानने वाली सावित्रीबाई का यह उद्धरण हमें शिक्षा के लिए प्रेरित करता है।

“जिस समाज में महिलाओं को सम्मान नहीं दिया जाता, वह समाज कभी तरक्की नहीं कर सकता।” – महिलाओं के सम्मान को सामाजिक विकास का आधार मानने वाली सावित्रीबाई का यह उद्धरण हमें लैंगिक समानता की ओर संघर्ष करने की प्रेरणा देता है।

“जो लोग दूसरों की खुशियों के लिए जीते हैं, वही इस दुनिया के सच्चे नायक हैं।” – समाजसेवा को जीवन का लक्ष्य मानने वाली सावित्रीबाई का यह उद्धरण हमें दूसरों की भलाई के लिए जीने का संदेश देता है।

“कोई भी काम छोटा नहीं होता, बस उसे तन-मन से करना चाहिए।” – कर्म पर विश्वास करने वाली सावित्रीबाई का यह उद्धरण हमें कर्तव्यनिष्ठा से काम करने की प्रेरणा देता है।

“जीवन में असफलताएं मिलेंगी, लेकिन हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। हर असफलता हमें सफलता की ओर ले जाती है।” – हार न मानने का संदेश देने वाली सावित्रीबाई का यह उद्धरण हमें निराशा से लड़ने का हौसला देता है।

“प्रेम की शक्ति से ही दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है। घृणा फैलाने की बजाय प्रेम फैलाओ।” – विश्व को प्रेम से सुधारने का सपना देखने वाली सावित्रीबाई का यह उद्धरण हमें मानवता और प्रेम का पाठ पढ़ाता है।

 

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