MSP Guarantee कानून क्या है जिसके लिए दिल्ली में मोर्चा ले रहे हैं किसान?

MSP Guarantee कानून क्या है जिसके लिए दिल्ली में मोर्चा ले रहे हैं किसान?

MSP Guarantee कानून क्या है जिसके लिए दिल्ली में मोर्चा ले रहे हैं किसान?

MSP Guarantee : न्यूनतम समर्थन मूल्य दर MSP Rate क्या है ?

न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP एक तरह से फसल बिक्री के लिए गारंटी कीमत है।
एमएसपी के जरिए फसल बुवाई के वक्त यह तय किया जाता है कि कटाई के बाद फसल किस कीमत पर बाजार में बिकेगी।
एमएसपी यह पक्का करती है कि किसान को उसकी फसल का दाम तय कीमत से कम नहीं मिलेगा, चाहे बाजार में फसल का भाव गिर गया हो। एमएसपी का उद्देश्य किसान को बाजार में फसल की कीमत के उतार-चढ़ाव से नुकसान से बचाया जा सके।

दरअसल , कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने किसानों की स्थिति में सुधार को लेकर कई जरूरी कदम उठाए। एमएस स्वामीनाथन ने किसानों की आर्थिक दशा सुधारने और खेती में पैदावार बढ़ाने को लेकर कई सिफारिशें दी थीं। इस कमिटी ने साल 2006 में अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कई तरह की सिफारिशें की गई थीं। एमएस स्वामीनाथन ने किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कई सुझाव दिए थे। इनमें सबसे अहम सुझाव एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का था।

2004 में हुआ था स्वामीनाथन आयोग का गठन।

स्वामीनाथन आयोग का गठन नवंबर 2004 में किया गया था। इसे ‘नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स’ नाम दिया गया था। हरित क्रांति के जनक और महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन इसके अध्यक्ष थे। उन्हीं के नाम पर इस आयोग का नाम पड़ा।

किन फसलों पर लागू है एमएसपी ?

कृषि मंत्रालय खरीफ, रबी सीजन समेत अन्य सीजन की फसलों के साथ ही कमर्शियल फसलों पर एमएसपी लागू करता है।

वर्तमान में देश के किसानों से खरीदी जाने वाली 23 फसलों पर एमएसपी लागू की गई है।
गेहूं, धान, चना, मूंगफली, बाजरा, ज्वार, मक्का, सोयाबीन, मूंग, मसूर, तिल और कपास जैसी फसलों पर एमएसपी लागू है।
बता दें कि रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए गेहूं का एमएसपी दाम 2275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है और सरसों का दाम 5650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

फसलों पर एमएसपी कौन लागू करता है ?

केंद्र सरकार फसलों पर एमएसपी दर लागू करती है, जबकि राज्य सरकारों के पास भी एमएसपी लागू करने का अधिकार है।
केंद्र सरकार ने किसानों की फसलों को उचित कीमत दिए जाने के उद्देश्य से साल 1965 में कृषि लागत और मूल्य आयोग यानी सीएसीपी (Commission for Agricultural Costs and Prices) का गठन किया था।

इसके बाद पहली बार 1966-67 में एमएसपी दर लागू की गई थी।

सीएसीपी की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार फसलों पर एमएसपी दर तय करती है।

फसल की एमएसपी दर कैसे तय की जाती है ?

कृषि लागत और मूल्य आयोग फसलों की बुवाई के वक्त उनके उत्पादन में लागत का अनुमान लगाकर कीमत तय करने की सिफारिश केंद्र सरकार से करता है।
आयोग (CACP) फसल लागत से कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर फसलों की एमएसपी तय करता है। यानी किसानों को जो लागत आती है उस पर कम से कम 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर एमएसपी तय होती है। एमएसपी कीमत तय करने के लिए आयोग कई मानकों पर फसल को आंकता है। इनमें प्रमुख हैं-
• मांग और आपूर्ति मानक पर
• उत्पादन की लागत के आधार पर
• घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमत स्थिति आंककर
• आंतरिक फसल कीमत मानक पर
• कृषि और गैर कृषि के बीच व्यापार की शर्तें देखकर
• फसल कीमत से कंज्यूमर पर संभावित प्रभाव के आंकलन पर

एमएसपी गांरटी कानून की मांग क्यों हो रही ?

जब केंद्र सरकार ने करीब 24 फसलों पर एमएसपी लागू कर रखी है तो फिर किसान एमएसपी गांरटी कानून बनाने की मांग पर क्यों अड़े हैं। दरअसल, कृषि लागत और मूल्य आयोग यानी सीएसीपी फसल के लिए एमएसपी दर की सिफारिश सरकार से करता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार उसे लागू ही करेगी , यानी सरकार पर सीएपीसी की सिफारिशों को मानने की बाध्यता नहीं है। किसानों को डर है कि सरकार कभी भी फसल की एमएसपी दर घटा या बढ़ा सकती है या हटा भी सकती है। ऐसे में एमएसपी गारंटी कानून आने पर सरकार फसल की कीमत तय करने के लिए बाध्य होगी। कानून बनने से एमएसपी को वैध बनाया जा सकेगा और किसानों को तय एमएसपी रेट पर फसल का दाम मिल सकेगा। चाहे बाजार में दाम का कितना भी उतार चढ़ाव हो। इससे किसानों का नुकसान नहीं होगा और उनकी कर्ज पर निर्भरता भी कम होगी।

रुक्मणी रियार स्कूल में विशेष रूप से प्रतिभाशाली छात्रा नहीं थीं और कक्षा छह में फेल हो गई थीं, लेकिन एआईआर 2 के साथ UPSC परीक्षा पास करने में सफल रहीं।

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